वर्तमान समय में करोड़ों लोग व्यापार सेे अपनी आजीविका चला रहे हैं। सभी व्यक्ति चाहते हैं कि दुकान में खूब सफलता मिले, लेकिन कई बार अधिक परिश्रम के बावजूद भी दुकान में सफलता नहीं मिल पाती। इसका कारण दुकान और व्यापारिक स्थल का वास्तु दोष है। दुकान के निर्माण के समय वास्तु शास्त्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वास्तु शास्त्रानुसार दुकान की शुरूआत करने के लिए विशेष नियम बताए गए हैं। व्यक्ति की सफलता उसकी मेहनत और आय पर निर्भर होती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान बनवाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
वास्तु शास्त्रानुसार दुकान का मुख्य दरवाजा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो तो व्यापार में लाभ मिलता है। यदि मुख्य दरवाजा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बनाना असंभव हो तो पश्चिम की ओर भी बनाया जा सकता है।
दुकान के अंदर सामान रखने के लिए अलमारियाँ, सेल्फ, शोकेस और कैश काउंटर दक्षिण और पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।
उत्तर की दिशा कुबेर की दिशा है, इसलिए इस तरफ मुँह करके बैठने से मस्तिष्क सक्रिय रहता है तथा व्यापार में लाभ मिलता है।
यदि दुकान में उत्तर दिशा की तरफ मुँह करके ना बैठा जाये तो पूर्व दिशा की तरफ मुँह करके बैठा जा सकता है। पूर्व दिशा सूर्य भगवान की दिशा है, इस तरफ मुँह करके बैठने से भी धन और यश प्राप्त होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार कैश बाॅक्स, चैक-बुक तथा अन्य जरूरी दस्तावेज अपने दाहिने तरफ रखने चाहिए। इससे धन लाभ के साथ-साथ समाज में मान-सम्मान भी बढ़ता है।
दुकान के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) मे मंदिर या इष्टदेव की मूर्ति या पीने का पानी भी रखा जा सकता है।
बिजली के उपकरणों जैसे इन्वर्टर या जनरेटर को रखने की जगह या स्विच बोर्ड लगाने के लिए दुकान का दक्षिण-पूर्व हिस्सा ठीक माना जाता है।
दुकान के काउंटर पर खड़े ग्राहक का मुँह दक्षिण या पश्चिम की तरफ और विक्रेता या सेल्स मैन का मुँह पूर्व या उत्तर की तरफ होना अच्छा माना जाता है।
दुकान का गल्ला (कैशबाक्स) दक्षिण और पश्चिम दीवार के सहारे होना ठीक माना जाता है।
दुकान के मैनेजर या मालिक को दुकान की पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए। ऐसा करने से आय में बढ़ोत्तरी होती है।
वास्तु शास्त्रानुसार दुकान में कैश काउंटर, मालिक या मैनेजर के बैठने के स्थान के ऊपर कोई ज़ीना (सीढ़ी) ना हो तो यह वास्तु शास्त्र की दृष्टि से बहुत ही अच्छा माना जाता है।
दुकान में कैश काउंटर, मालिक या मैनेजर के बैठने के स्थान के ऊपर कोई बीम हो तो उस बीम को फाल्स सीलिंग या टाइल्स से ढ़क देना चाहिए और बीम के दोनों तरफ लाल कलावे से बाँसुरी लटका देनी चाहिए। बीम व्यवसाय में बाँधा उत्पन्न कर सकता है।
वास्तु शास्त्रानुसार दक्षिण दिशा की तरफ मुख वाली दुकान शुभ नहीं होती।
यदि दुकान के अंदर कोई दरवाजा है, तो उसे अंदर की तरफ ही खोलना चाहिए।
दुकान में ईशान कोण या आग्नेय कोण (उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व) दिशा में बिक्री का सामान नहीं रखना चाहिए। इसे खाली और साफ रखना चाहिए। मंदिर भी इसी ईशान दिशा या पूर्व दिशा में बनाना चाहिए।
दुकान की उत्तर या पूर्व दिशा में देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति रखने से व्यापार में लाभ प्राप्त होता है।
वास्तु शास्त्रानुसार चैकोर (चतुर्भुज) या गोल आकार की दुकान अधिक शुभ मानी जाती है।
दुकान की दक्षिण-पश्चिम दिशा में भारी सामान को रखना चाहिए।
दुकान की दक्षिण-पूर्व दिशा में टी.वी. या कंप्यूटर रखना शुभ माना जाता है।
दुकान में पूर्व या उत्तर की दिशा को ग्राहकों के आने-जाने के लिए खाली रखें।
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