बैडरूम का वास्तु शास्त्र | Bedroom Ka Vastu Shastra
बैडरूम (शयनकक्ष) से संबंधित कुछ वास्तु सलाह-
आधुनिक समय में घर के निर्माण के समय वास्तु शास्त्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनवाया जाए तो घर में कष्ट, रोग, गरीबी आदि नहीं आते और हम शांति एवं खुशहाली से अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
घर में बैडरूम (शयनकक्ष) बनवाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- वास्तु शास्त्रानुसार घर की दक्षिण दिशा में बड़े-बुजुर्गों का शयनकक्ष और उत्तर-पश्चिम या उत्तर दिशा में युवाओं का शयनकक्ष होना चाहिए।
- घर में शयनकक्ष उत्तर-पूर्व दिशा और दक्षिण-पूर्व दिशा में होना वास्तु शास्त्रानुसार ठीक नहीं मानते हैं।
- घर दो मंजिल से अधिक बना हुआ हो तो बुजुर्गों का शयनकक्ष घर की पहली मंजिल पर दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
- वास्तु शास्त्रानुसार शयनकक्ष में बैड या चारपाई का सिरहाना पूर्व या दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
- वास्तु शास्त्रानुसार शयनकक्ष सदैव हवादार और खुला हुआ होना चाहिए, हवादार और खुले हुए शयनकक्ष में मन शांत रहता है।
- शयनकक्ष में बैड या चारपाई इस प्रकार लगी (बिछी) होनी चाहिए कि सोने वाले व्यक्ति का सिंर उत्तर दिशा और पैर दक्षिण दिशा की ओर ना हो, दक्षिण दिशा में पैर फैलाना वास्तु शास्त्रानुसार ठीक नहीं माना जाता है।
- शयनकक्ष में कभी भी पूजा स्थल नहीं होना चाहिए, यह वास्तु शास्त्रानुसार सही नहीं माना जाता है।
- शयनकक्ष के दरवाजे कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होने चाहिए।
- वास्तु शास्त्रानुसार शयनकक्ष में बैड के ऊपर छत की बीम या मोटी पट्टी नहीं होनी चाहिए।
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