घर का वास्तु शास्त्र | Ghar Ka Vastu Shastra

घर से संबंधित कुछ वास्तु सलाह-


आधुनिक काल में घर के निर्माण के समय वास्तु शास्त्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनवाया जाए तो घर में कष्ट, रोग, गरीबी आदि नहीं आते और हम शांति एवं खुशहाली से अपना जीवन व्यतीत करते हैं।



घर बनवाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-



  • वास्तु शास्त्रानुसार घर में हवा और प्रकृतिक रोशनी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। 
  • प्रसाधन (टाॅयलेट) हमेशा पश्चिम दिशा में ही बनाना चाहिए।  
  • शयनकक्ष में सोते समय पांव उत्तर दिशा और सर दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। 
  • घर में पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, लेकिन उसमें शिवालय (शिवजी का मंदिर) ना होकर शिवजी की मूर्ति होना चाहिए। 
  • घर की छत को हमेशा साफ-सुथरा रखें, छत पर बेकार या टूटे-फूटे सामान को ना रखें। 
  • पेड़, नल या पानी की टंकी घर के ठीक सामने नहीं होनी चाहिए। ऐसी चीजों की वजह से घर में सकारात्मक शक्तियों के आगमन में परेशानी होती है।
  • घर के सामने छोटे-छोटे फूल वाले पौधे लगाना शुभ माना जाता है।
  • घर के सामने फल वाले पेड़ जैसे केला, पपीता, अनार आदि लगे हुए हो तो उन्हें कभी भी सूखने ना दे। यदि कोई पेड़ सूख रहा है या फल नहीं दे रहा है, तो जातकों (बच्चों) को संतान उत्पत्ति या बांझपन की समस्या से जूझना पड़ सकता है।
  • घर में कांटेदार पौधे नहीं लगाने चाहिए, लेकिन फेंगशुई पौधे जैसे मनी प्लांट या बांस लगाया जा सकता है।
  • घर में भारी सामान दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने चाहिए तथा हल्के सामान उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखने चाहिए।  
  • घर में बच्चों का कमरा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए और कमरे की दीवारों का रंग हल्का होना चाहिए। यदि बच्चों के पढ़ने का कमरा अलग है तो वह दक्षिण दिशा में होना चाहिए। पढ़ाई के कमरे में सरस्वती माँ की तस्वीर या मूर्ति लगाई जा सकती है।
  • खाना खाते समय हमारा मुँह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार ये दिशाएँ सकारात्मक उर्जा का संचार करती हैं।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में फ्रिज दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना शुभ होता है।
  • शयनकक्ष (बेडरूम) में लकड़ी का बने पलंग या चारपाई होनी चाहिए तथा दर्पण (शीशा) उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। दर्पण (शीशा) ज्यादा बड़े आकार का नहीं होना चाहिए, यह संबंधों में दरार पैदा कर सकता है।
  • ज्योतिष विद्यानुसार शयनकक्ष (बेडरूम) कभी भी दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए तथा जातक के पैर दरवाजे की तरफ नहीं होने चाहिए।
  • शयनकक्ष (बेडरूम) में मंदिर कभी नहीं होना चाहिए। शयनकक्ष (बेडरूम) की दीवारों के लिए सफेद, जामुनी, नीला या गुलाबी रंग बहुत ही उत्तम माना जाता है।    
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार शयनकक्ष (बेडरूम) में साज-श्रंगार का सामान या कोई भी वाद्यय यंत्र रखा जा सकता है।
  • रसोईघर (किचन) में सुबह और शाम के समय खाना बनाने से पहले धूप-दीपक जरूर जलाना चाहिए, लेकिन यहाँ पर पूजा स्थान बनाना शुभ नहीं माना जाता है। 
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोईघर (किचन) में झूठे या गंदे बर्तन रात के समय वाॅश बेसिन में नहीं छोड़ने चाहिए।
  • घर में मौजूद किसी भी तरह के वास्तु दोष को खत्म करने के लिए ‘वास्तु दोष निवारक यंत्र’ का इस्तेमाल किया जा सकता है। यंत्र की स्थापना किसी पंडित या पुरोहित के द्वारा ही करवानी चाहिए। 
  • हिन्दू समुदाय का 'स्वस्तिक चिह्न', मुस्लिम समुदाय का '786 चिह्न' या ईसाई समुदाय का 'क्रास चिह्न' घर के मुख्य दरवाजे पर अंकित करने से सभी प्रकार के वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं।   
  • घर में महाभारत या कब्रिस्तान से संबंधित किसी भी तस्वीर को नहीं लगाना चाहिए। यदि लगाना है तो 'श्रीकृष्ण की लीलाओं' जैसे बाँसुरी बजाते हुए 'श्रीकृष्ण और राधा रानी' की तस्वीर या 'यशोदा मैया-श्रीकृष्ण' की तस्वीर घर में लगाई जा सकती है।   
  • घर के मध्य भाग को हमेशा खाली और स्वच्छ रखना चाहिए, क्योंकि मध्य भाग ‘ब्रहमस्थान’ कहलाता है।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय (टाॅयलेट) और स्नानघर (बाथरूम) दोनों एक साथ नहीं होने चाहिए। यदि दोनों एक साथ हैं, तो स्नानघर में छोटी काँच की कटोरी में साबुत नमक भरकर रखें और हर 7 दिन में इसे बदलते रहें, नमक नकारात्मक उर्जा को खत्म करता है। 
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार तिजोरी को शयनकक्ष के दक्षिण-पश्चिम भाग में रखने से जातक को सौभाग्य प्राप्त होता है।


No comments