बच्चों के कमरे का वास्तु शास्त्र | Baccho Ke Kamre Ka Vastu Shastra

बच्चों के कमरे से संबंधित कुछ वास्तु सलाह-


प्रत्येक व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि उसके बच्चे खूब पढ़ाई करें, ताकि उसके खानदान का नाम रोशन हो। इसके लिए वह व्यक्ति खूब प्रयास करता है। जिस प्रकार घर के मुखिया के लिए शयनकक्ष का महत्व है, ठीक उसी प्रकार बच्चों के कमरे के वास्तु का महत्व है। यदि बच्चों का कमरा वास्तु के अनुसार होगा तो उनका मन, मस्तिष्क ओर शरीर स्वस्थ रहेगा। बच्चे अपनी मेहनत शिक्षा, खेल या अन्य कलाओं में जहां भी अपनी भागीदारी करेंगे, वहां उन्हें अच्छे परिणाम प्राप्त करने में बहुत आसानी होगी। घर में बच्चों का कमरा उनके विकास, खुशी और सपनों का स्थल होता है। बच्चों के कमरे में पलंग, स्टडी टेबल, दीवारों पर चित्र, रोशनी की व्यवस्था, खिड़कियां, दरवाजे आदि सही दिशा में होने चाहिए। 

बच्चों के कमरे से संबंधित कुछ वास्तु नियम निम्नलिखित हैं-


  • घर में बच्चों का कमरा पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है, लेकिन पश्चिम दिशा बच्चों के कमरे के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। बच्चों का कमरा आग्नेय, दक्षिण या नेऋत्य कोण में नहीं होना चाहिए। 
  • बच्चों का पलंग कमरे के दक्षिण-पश्चिम कोने या दक्षिण में इस तरह होना चाहिए, ताकि सोते समय बच्चों का सिर पूर्वी या दक्षिणी दिशा में हो। इससे बच्चों की बुद्धि कुशाग्र होती है।
  • पढ़ते समय बच्चे का मुंह ईशान कोण या पूर्व दिशा की तरफ और पीठ पश्चिम दिशा की तरफ होनी चाहिए।
  • बच्चे के कमरे के दरवाजे पूर्व या उत्तर दिशा में होना सही माना जाता है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि बच्चों का बिस्तर दरवाजे के ठीक सामने नहीं होना चाहिए तथा दीवारों पर हल्के हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए। हरा रंग ताजगी और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है।
  • बच्चे के कमरे में कंप्यूटर आग्नेय कोण, दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। काॅपी-किताब की रेक, कपडे और जूते की अलमारी कमरे के नैऋत्य कोण या दक्षिण में रखनी चाहिए। 
  • बच्चों की पढ़ाई की टेबिल साफ-स्वच्छ होनी चाहिए तथा किताबें भी अस्त-व्यस्त, बिखरी हुई न होकर सही तरह से रखी होनी चाहिए।
  • बच्चों के कमरे की खिड़कियां पूर्व और उत्तर दिशा की तरफ होनी चाहिए तथा पलंग के ठीक सामने शीशा, टी.वी. या कंप्यूटर नहीं होना चाहिए।
  • बच्चों के कमरे में ईशान कोण तथा ब्रह्म स्थान हमेशा साफ-सुथरा होना चाहिए, किसी भी तरह की गंदगी नहीं होनी चाहिए। यदि यहां पर गंदगी होती है, तो माता-पिता बच्चे पर से अपना नियंत्रण खो देते हैं। 
  • बच्चों के कमरे में जंगली जानवरों के, भूत-प्रेतों के मुखौटे, हिंसात्मक या फूहड़ चित्र नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि ये सभी उनके विचारों तथा मानसिक स्थिति को प्रभावित करते हैं। कमरे के पूर्वी भाग की ओर भगवान गणेश और माँ सरस्वती (ज्ञान की देवी) के चित्र या पेंटिग लगानी चाहिए।  
  • बच्चा जिस क्षेत्र में अपना करियर सँवारना चाहता है, उस क्षेत्र के सफल व्यक्तियों के चित्र, इसके साथ-साथ आकाश, बादल, हरे फलदार वृक्ष, समुद्र आदि के चित्र भी बच्चों के कमरे की पूर्व या उत्तर की दीवार पर लगाने चाहिए।



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