त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग | Trimbakeshwar Jyotirling


त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले से लगभग 25 कि.मी. की दूरी पर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के पास ही ब्रह्मागिरि पर्वत है, जो गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है। शिव भगवान को त्र्यंबकेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि शिव भगवान को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करना पड़ा।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के संबंध में श्लोक-


श्लोक-
सह्याद्रीशीर्षे विमले वसंतम्, गोदावरीतीरपवित्रदेशे।
यद्यर्शनात् पातकपाशु नाशम्, प्रयाति त्र्यंबकमीशमीडे।।
कथा
शिव पुराण में वर्णन की हुई कथा के अनुसार महर्षि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या के साथ तपोवन में रहा करते थे। तपोवन में उनके साथ-साथ दूसरे ब्राहमण भी अपनी-अपनी पत्नियों से साथ रहते थे। किसी वजह से ब्राहमणों की पत्नियाँ महर्षि गौतम की पत्नीअहिल्या’ से नाराज हो गईं। उन सभी ने मिलकर महर्षि गौतम और उनकी पत्नि अहिल्या को उस आश्रम से निकालने के लिए भगवान गणेश की आराधना की।
गणेश जी ब्राहमणों की आराधना से खुश हुए और दर्शन देकर वर मांगने को कहा। ब्राहमणों ने कहा- हे प्रभु, यदि आप हमारी आराधना से से खुश हैं, तो कुछ ऐसा करें कि महर्षि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या सहित कहीं और चले जाएं। ब्राहमणों की बात सुनकर गणेश जी ने उन्हें ऐसा वर माँगने के लिए मना किया, परन्तु उनके हठ की वजह से गणेश जी ने यह बात स्वीकार कर ली।
गणेश जी ने अपने भक्तों का मन रखने के लिए एक कमजोर गाय का रूप धारण किया और महर्षि गौतम के खेत में जाकर फसल को खाने लगे। जब महर्षि गौतम ने उस गाय द्वारा फसल को खाते देखा, तो घास के एक तिनके से उसे हाँकने लगे, तभी तिनका लगते ही वह गाय उसी खेत में गिरकर मर गयी। गौहत्या का पाप महर्षि गौतम पर गया। सभी ब्राहमणों ने उन्हें गौ-हत्यारा बताकर उनकी निंदा की।   
इस घटना से महर्षि गौतम बहुत ही आश्चर्यचकित और दुःखी हुए। उन ब्राहमणों से महर्षि गौतम ने अपने कल्याण और इस पाप से मुक्ति के लिए प्रायश्चित और उद्धार का मार्ग बताने का निवेदन किया। ब्राहमणों ने कहा- महर्षि गौतम तुम यहाँ गंगाजी को लाकर उनके जल से स्नान करने के बाद एक करोड़ पार्थिव शिवलिंगों से शिव भगवान की आराधना करो। इसके बाद दोबारा गंगाजी में स्नान कर ब्रहमगिरी की 101 बार परिक्रमा करो, फिर 100 घड़ों (मटकों) के पवित्र जल से पार्थिव शिवलिंगों को स्नान कराने से तुम्हें पापों से मुक्ति मिलेगी।   
इस प्रकार महर्षि गौतम ब्राहमणों की बात मानकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव भगवान की आराधना करने लगे। शिव भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और वर माँगने को कहा। महर्षि गौतम ने शिव भगवान से कहा- प्रभु, मैं यही चाहता हूँ कि आप मुझे गौ-हत्या के पाप से मुक्ति प्रदान करें। भगवान शिव ने कहा- महर्षि गौतम! तुम सर्वथा निष्पाप हो, गौ-हत्या का आरोप तुम पर छल से लगाया गया था। ब्राहमणों ने तुम्हारे साथ छल किया, अतः मैं उन्हें दंडित करना चाहता हूँ।  
शिव भगवान के मुख से यह बात सुनकर महर्षि गौतम ने उन्हें ऐसा करने के लिए मना किया। महर्षि गौतम बोले- प्रभु उनके द्वारा ही मुझे आपके दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। आप उन्हें क्षमा कर दें और इस शिवलिंग में हमेशा के लिए वास कर लें, जिससे संपूर्ण जगत आपके दर्शनों का सुख भोग सके।
शिव भगवान महर्षि गौतम की बात मानकर वहाँत्रयंब ज्योतिर्लिंग’ के नाम से विराजमान हो गए। महर्षि गौतम द्वारा लाई गई गंगाजी भी वहाँ पास में गोदवारी के नाम से प्रवाहित होने लगीं। त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग सभी पुण्यों को प्रदान करने वाला है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हे। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार हर रोज प्रातःकाल और संध्या के समय इन 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम जपने से या दर्शन करने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों से संबंधित श्लोक इस प्रकार हैं-



सौराष्ट्रे सोमनाथं  श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारं ममलेश्वरम्।।

हिमालये  केदारं डाकिन्यां भीमशंकरम्।
वाराणस्यां  विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।।

वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने।
सेतुबन्धे  रामेशं घुश्मेशं  शिवालये।।

ऐतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतम पापम् स्मरनिणां विनस्यति।।

वास्तव में 64 ज्योतिर्लिंगों को माना जाता हैलेकिन इनमें से 12 ज्योतिर्लिंगों को सबसे पवित्र माना जाता है।






No comments