ज्वाला देवी शक्तिपीठ | Jwala Devi Shaktipeeth


ज्वाला देवी शक्तिपीठ
ज्वाला देवी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश राज्य में, कांगड़ा घाटी से लगभग 30 कि.मी. दूर दक्षिण में स्थित है। इस शक्तिपीठ कोजोता वाली का मंदिर” के नाम से भी जानते हैं। इस शक्तिपीठ में माता के दर्शन ज्योति के रूप में होते हैं। मंदिर के अंदर माता की नौ ज्योतियाँ हैं, जिन्हें- महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी देवी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजना देवी के नाम से जानते हैं।
पुराणों के अनुसार जहाँ देवी सती के शरीर के अंग या आभूषण गिरे, वहाँ उनके शक्तिपीठ बन गये। ये शक्तिपीठ पावन तीर्थ कहलाये, जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
ज्वाला देवी शक्तिपीठ में माता सती कीजीभगिरी थी। यहाँ माता सती कोसिद्धिदा (अंबिका)’ और शिव भगवान कोउन्मत्तकहा जाता है।
 कथा  
ज्वाला देवी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में शामिल है। प्राचीन कथा के अनुसार शिव भगवान के ससुर राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने शिव भगवान और माता सती को निमंत्रण नहीं भेजा, क्योंकि राजा दक्ष शिव भगवान को अपने बराबर का नहीं मानते थे।
यह बात माता सती को सही नहीं लगी। वह बिना बुलाए ही यज्ञ में शामिल होने चली गयीं। यज्ञ स्‍थल पर शिव भगवान का अपमान किया गया, जिसे माता सती सहन नहीं कर पायीं और वहीं हवन कुण्ड में कूद गयीं।
शिव भगवान को जब ये बात पता चली, तो वे वहाँ पर पहुँच गए और माता सती के शरीर को हवनकुण्ड से निकालकर तांडव करने लगे, जिसके कारण सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में उथल-पुथल मच गई। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को इस संकट से बचाने के लिए विष्णु भगवान ने माता सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में बाँट दिया, जो अंग जहाँ पर गिरे, वे शक्ति पीठ बन गए।


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