चट्टल शक्तिपीठ | Chatal Shaktipeeth


चट्टल शक्तिपीठ
चट्टल शक्तिपीठ वर्तमान बांग्लादेश में चटगांव से लगभग 38 कि.मी. दूर सीताकुंड़ स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर स्थित है। इसके पास ही सीताकुंड, व्यासकुंड, सूर्यकुंड, ब्रहम्कुंड, लवणाक्ष तीर्थ सहस्त्रधारा, जनकोटि शिव भी स्थित हैं।
पुराणों के अनुसार जहाँ देवी सती के शरीर के अंग या आभूषण गिरे, वहाँ उनके शक्तिपीठ बन गये। ये शक्तिपीठ पावन तीर्थ कहलाये, जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
चट्टल शक्तिपीठ में माता सती कीदांयी भुजागिरी थी। यहाँ माता सती कोभवानीऔर शिव भगवान कोचंद्रशेखरकहा जाता है।
कथा  
चट्टल शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में शामिल है। प्राचीन कथा के अनुसार शिव भगवान के ससुर राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने शिव भगवान और माता सती को निमंत्रण नहीं भेजा, क्योंकि राजा दक्ष शिव भगवान को अपने बराबर का नहीं मानते थे।
यह बात माता सती को सही नहीं लगी। वह बिना बुलाए ही यज्ञ में शामिल होने चली गयीं। यज्ञ स्‍थल पर शिव भगवान का अपमान किया गया, जिसे माता सती सहन नहीं कर पायीं और वहीं हवन कुण्ड में कूद गयीं।
शिव भगवान को जब ये बात पता चली, तो वे वहाँ पर पहुँच गए और माता सती के शरीर को हवनकुण्ड से निकालकर तांडव करने लगे, जिसके कारण सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में उथल-पुथल मच गई। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को इस संकट से बचाने के लिए विष्णु भगवान ने माता सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में बाँट दिया, जो अंग जहाँ पर गिरे, वे शक्ति पीठ बन गए।


No comments