शनिवार की आरती | Shanivar Ki Aarti

जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)
तुम सूर्य पुत्र बलिधारी, भय मानत दुनिया सारी
तुम सूर्य पुत्र बलिधारी, भय मानत दुनिया सारी
साधत हो दुर्लभ काज
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)


तुम धर्मराज के भाई, जब क्रुरता पाई
तुम धर्मराज के भाई, जब क्रुरता पाई
घन गर्जन करते आवाज
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)
तुम नील देव विकराली, हैं सांप पर करत सवारी
तुम नील देव विकराली, हैं सांप पर करत सवारी
कर लौह गदा रहे साज
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)
तुम भूपति रंक बनाओ, निर्धन सृधन्द घर आयो
तुम भूपति रंक बनाओ, निर्धन सृधन्द घर आयो
सब रत हो करन ममताज
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)
राजा को राज मिटायो, निज भक्तों फेर दिवायो
राजा को राज मिटायो, निज भक्तों फेर दिवायो
जगत में हो गई जय-जयकार
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)
तुम हो स्वामी हम चरनन, सिर करत नमामी जी
तुम हो स्वामी हम चरनन, सिर करत नमामी जी
पूर्ण हो जन-जन की आस
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)
यहां पूजा देव तिहारी, करें दीन भाव ते पारी
यहां पूजा देव तिहारी, करें दीन भाव ते पारी
अंगीकृत करो कृपाल
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)
कब सुधि दृष्टि निहारो, छमीये अपराध हमारो
कब सुधि दृष्टि निहारो, छमीये अपराध हमारो
हे हाथ तिहारे लाज
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)
हम बहुत विपत्ति घबराये, शरणागत तुम्हरी आये
हम बहुत विपत्ति घबराये, शरणागत तुम्हरी आये
प्रभु सिद्ध करो सब काज
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)
यहां विनय करे कर जोर के, भक्त सुनावे जी
यहां विनय करे कर जोर के, भक्त सुनावे जी
तुम देवन के सिरताज
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)
तुम सूर्य पुत्र बलिधारी, भय मानत दुनिया सारी
साधत हो दुर्लभ काज
जय जय शनिदेव महाराज।
जन के संकट हरने वाले।। (x2)

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