वास्तु पुरुष क्या है | Vastu Purush Kya Hai
वास्तु पुरुष क्या है?
वास्तु पुरूष के बारे में ऐसी कथा प्रचलित है कि प्राचीन काल में एक बहुत ही विशालकाय जीव उत्पन्न हुआ था। वह जीव इतनी तेजी से बढ़ रहा था कि सारा ब्रहमाण्ड उसके दानव रूपी शरीर से ढ़कने लगा। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सभी देवी-देवताओं ने मिलकर इसे रोकने का निर्णय लिया। उस विशालकाय जीव के चारों तरफ एक घेरा बनाया गया तथा उसे उल्टाकर जमीन में समाहित कर दिया। उस दानव रूपी विशालकाय जीव को ‘वास्तु पुरूष’ का नाम दिया गया।
वास्तु पुरूष का मुँह इशान कोण (उत्तर-पूर्व), दोनों पैरों के घुटनों को मोड़कर तथा दोनों तलवों को जोड़कर नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम), हाथों की कोहनियाँ आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) और वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) का निर्माण हुआ। उस दौरान देवी-देवताओं ने जो भी स्थान ग्रहण किया, उन स्थानों को उस देवी-देवताओं के अधीन मान लिया गया। भगवान ब्रहमा जी के वरदान के अनुसार ‘वास्तु पुरूष’ को ध्यान में रखकर बनाए गए घर या इमारत में ब्रहमाण्ड की दोनों शक्तियों जैसे सकारात्मक शक्ति और नकारात्मक शक्ति का संतुलन हमेशा के लिए बना रहता है। उस घर में निवास करने वाले लोगों को सुख, शांति, धन-दौलत, वैभव आदि प्राप्त होता है।
वास्तु एवं भाग्य
हर मनुष्य की इच्छा होती है कि वह अपना एक अच्छा सा घर बनाए। ऐसे में व्यक्ति किसी अच्छी जगह पर प्लाॅट खरीदकर घर बनाता है, या फिर बना हुआ घर खरीद लेता है, तो बिना वास्तु की जानकारी के बने हुए घर में रहने से घर में रहने वाले लोग शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से हमेशा ही परेशान रहते हैं। वास्तु दोष भारी होने से बिना किसी कारण के घर में बीमारियाँ, लड़ाई-झगड़े, अशुभ समाचार आदि बढ़ते ही रहते हैं। किसी अनुभवी वास्तु शास्त्री का सुझाव लेकर या स्वयं वास्तु शास्त्र का अध्ययन करके वास्तु दोष से उत्पन्न सभी समस्याओं से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है। पूर्व जन्म के अच्छे और बुरे कर्मों के कारण हमें अच्छा या बुरा भाग्य मिलता है, इसलिए भाग्य का हमारे जीवन में ज्यादा प्रभाव होता है।
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