नलहाटी शक्तिपीठ | Nalhati Shaktipeeth
नलहाटी शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल राज्य के बोलपुर शांति निकेतन से लगभग 75 कि.मी. तथा सैंथिया जंक्शन से लगभग 42 किलोमीटर दूर, नलहाटी रेलवे से लगभग 3 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में एक ऊँचे से टीले पर नलहाटी शक्तिपीठ स्थित है।
पुराणों के
अनुसार जहाँ
देवी सती
के शरीर
के अंग
या आभूषण
गिरे, वहाँ
उनके शक्तिपीठ बन गये। ये शक्तिपीठ पावन
तीर्थ कहलाये,
जो पूरे
भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। देवीपुराण
में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
नलहाटी शक्तिपीठ में माता सती की “उदरनली” (गले की नली) गिरी थी। यहाँ माता सती को ‘कालिका’ (दुर्गा) और शिव भगवान को ‘योगीश’ कहा जाता है।
कथा
नलहाटी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में शामिल है। प्राचीन कथा के अनुसार
शिव भगवान
के ससुर
राजा दक्ष
ने यज्ञ
का आयोजन
किया, जिसमें
उन्होंने शिव
भगवान और
माता सती
को निमंत्रण नहीं
भेजा, क्योंकि
राजा दक्ष
शिव भगवान
को अपने
बराबर का
नहीं मानते
थे।
यह बात
माता सती
को सही नहीं लगी। वह बिना बुलाए
ही यज्ञ में शामिल होने चली गयीं।
यज्ञ स्थल
पर शिव
भगवान का
अपमान किया
गया, जिसे
माता सती
सहन नहीं
कर पायीं
और वहीं
हवन कुण्ड
में कूद
गयीं।
शिव भगवान
को जब
ये बात
पता चली,
तो वे
वहाँ पर
पहुँच गए
और माता
सती के
शरीर को
हवनकुण्ड से
निकालकर तांडव
करने लगे,
जिसके कारण
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में उथल-पुथल
मच गई।
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को इस संकट
से बचाने
के लिए
विष्णु भगवान
ने माता
सती के
शरीर को
अपने सुदर्शन
चक्र से
51 भागों में
बाँट दिया,
जो अंग
जहाँ पर
गिरे, वे शक्ति पीठ बन गए।
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