विश्वकर्मा की आरती | Vishwakarma Ki Aarti
ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा ॥1॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥2॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥2॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥3॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥3॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दु:ख कीना॥4॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
संकट मोचन बनकर, दूर दु:ख कीना॥4॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति सारी हरी ॥5॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति सारी हरी ॥5॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥6॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥6॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥7॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥7॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
भगत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥8॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
भगत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥8॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा ॥1॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा ॥1॥
ॐ जय श्री विश्वकर्मा…
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